भारतीय संगीत की विरासत का जश्न: आकाशवाणी और संस्कृति मंत्रालय ने शास्त्रीय संगीत श्रृंखला: ‘हर कंठ में भारत’ के लोकार्पण के लिए हाथ मिलाया

Uttarakhand

आकाशवाणी पर सांस्कृतिक सद्भाव: 21 स्टेशन 16 फरवरी, 2025 तक हर रोज सुबह 9:30 बजे इस विशेष श्रृंखला का प्रसारण करेंगे

PIB Delhi : वसंत पंचमी के पावन अवसर पर, आकाशवाणी के ब्रॉडकास्टिंग हाउस स्थित पंडित रविशंकर संगीत स्टूडियो में एक विशेष समारोह का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य एक नई रेडियो कार्यक्रम श्रृंखला ‘हर कंठ में भारत’ का लोकार्पण करना था, जिसे विशेष रूप से भारतीय शास्त्रीय संगीत के विविध स्वरूपों को प्रसारित करने के लिए तैयार किया गया है।

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और लोक सेवा प्रसारक, आकाशवाणी द्वारा संयुक्त रूप से प्रस्तुत यह श्रृंखला 16 फरवरी, 2025 तक प्रतिदिन सुबह 9:30 बजे देशभर के 21 स्टेशनों से एक साथ प्रसारित की जाएगी, जो देश के लगभग सभी हिस्सों को कवर करेगी।

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री अरुणेश चावला, प्रसार भारती के सीईओ श्री गौरव द्विवेदी, आकाशवाणी के महानिदेशक डॉ. प्रज्ञा पालीवाल गौड़, संयुक्त सचिव संस्कृति सुश्री अमिता प्रसाद सरभाई और दूरदर्शन की महानिदेशक सुश्री कंचन प्रसाद द्वारा सुबह 10:30 बजे विद्या की देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना करने के साथ समारोह का औपचारिक शुभारंभ हुआ।
आकाशवाणी की महानिदेशक डॉ. प्रज्ञा पालीवाल गौड़ ने अपने स्वागत भाषण में, इस वर्ष वसंत पंचमी के अवसर के खगोलीय महत्व पर प्रकाश डाला, जो वसंत ऋतु के आगमन के साथ सरस्वती और लक्ष्मी के दुर्लभ संगम का प्रतीक है। उन्होंने ‘हर कंठ में भारत’ की अवधारणा और प्रसारण कार्यक्रम के बारे में चर्चा की। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह सहयोग आधारित प्रयास फलदायी साबित होगा।

‘हर कंठ में भारत’ श्रृंखला का डिजिटल रूप से श्री अरुणेश चावला और श्री गौरव द्विवेदी ने खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट के बीच संयुक्त तौर पर उद्घाटन किया। अपने विशेष उद्घाटन भाषण में, प्रसार भारती के सीईओ ने दशकों से पूरे देश में आकाशवाणी की शानदार, ऐतिहासिक भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने आशावादी दृष्टिकोण को अभिव्यक्ति देते हुए कहा कि इस तरह की रचनात्मक साझेदारी नए रास्ते खोलने में मदद कर सकती है।

एआई के युग में कला के प्रदर्शन

अपने मुख्य भाषण में, संस्कृति मंत्रालय के सचिव ने इस सहयोग के पीछे की दृष्टि के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने संस्कृति मंत्रालय द्वारा की गई विभिन्न पहलों के बारे में चर्चा की और वर्तमान एआई युग में प्रदर्शन कला के विभिन्न स्वरूपों को सुरक्षित और संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उनके अनुसार, इस तरह की परियोजनाओं के साथ अगली पीढ़ी को शामिल करना उस लक्ष्य की ओर एक समाधान था। उन्होंने यह भी कहा कि संस्कृति मंत्रालय इस संयुक्त प्रस्तुति को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक है। बीच-बीच में मंच पर लाइव संगीत प्रदर्शन भी हुए। जहां सरस्वती वंदना और राग बसंत में गायन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, वहीं सरोद पर राग देस ने स्टूडियो में मौजूद सभी लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।adg

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *