ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के सैद बिजनेस स्कूल और गेट्स फाउंडेशन द्वारा “फ्रॉम ग्रिडलॉक टू ग्रोथ : हाउ लीडरशिप ड्राइव्स इंडियाज प्रगति इकोसिस्टम” शीर्षक से प्रकाशित एक अध्ययन में, प्रगति (सक्रिय शासन और निर्धारित समय पर कार्यान्वयन) पहल की उल्लेखनीय सफलता का पता लगाया गया है।
इसमें जोर दिया गया है कि निर्णायक नेतृत्व और नवोन्मेषी शासन के संयोजन ने भारत में बुनियादी ढांचे के विकास को बदल दिया है, तथा समान चुनौतियों का सामना कर रहे अन्य देशों के लिए एक मिसाल कायम की है।
पृष्ठभूमि
- इसकी शुरूआत 25 मार्च 2015 को की गई थी।
- प्रगति “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन” की कल्पना को साकार करती है
- यह कार्यक्रम भारत के विकास को गति देने के लिए सहयोग, पारदर्शिता और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देता है, साथ ही नागरिकों की शिकायतों का समाधान करता है और जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
- प्रगति का मुख्य कार्य एक एकीकृत मंच के रूप में कार्य करना है जो सरकारी परियोजनाओं और योजनाओं की लगातार निगरानी करने में सक्षम बनाता है, विशेष रूप से वे जो भारत के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- यह मंच प्रमुख परियोजनाओं की नियमित समीक्षा की सुविधा प्रदान करता है, तथा देरी, लागत में वृद्धि और कार्यान्वयन में बाधाओं जैसे मुद्दों का समाधान करता है।
प्रमुख उपलब्धियां
- प्रगति में आने वाली बाधाओं को दूर करना: प्रगति ने नौ साल पहले अपने शुभारंभ के बाद से जून 2023 तक 17.05 लाख करोड़ रुपये ($ 205 बिलियन) की 340 रुकी हुई परियोजनाओं की समीक्षा की।
- कार्य निष्पादन में देरी कम हुई: संरचित मासिक समीक्षा और डिजिटल उपकरणों ने परियोजना की समयसीमा को दशकों से घटाकर मात्र महीनों में ला दिया है, यानी ऐसी परियोजनाएं जो 3-20 वर्षों के बीच अटकी हुई थीं।
आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिले
- बोगीबील पुल: एक दशक से अधिक की देरी के बाद 3 वर्षों में पूरा हुआ।
- जम्मू-बारामुल्ला रेल सम्पर्क: वर्षों के गतिरोध को दूर करते हुए 2025 तक पूरा होने की राह पर
- नवी मुंबई हवाई अड्डा: भूमि अधिग्रहण की 15+ वर्षों की बाधाओं का समाधान, दिसम्बर 2024 तक शुरू करने की तैयारी
- बेंगलुरु मेट्रो रेल, कर्नाटक: चरण 1 के लिए भूमि अधिग्रहण की समय पर समीक्षा की गई, जिससे 42 किमी लंबे, 40-स्टेशनों ने शहरी इलाकों में लागों की आवाजाही में बदलाव और 2017 से वायु गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिली।
- हरिदासपुर-पारादीप रेल संपर्क, ओडिशा: नौवहन मंत्रालय को इक्विटी प्रदान करके, भूमि अधिग्रहण, मंजूरी और समन्वय में तेजी लाकर वित्त पोषण और निवेशक-ठेकेदार गतिरोध को हल किया गया, जिससे 2020 में रेल लाइन का उद्घाटन हो सका।
- सड़क: दहिसर-सूरत खंड, राष्ट्रीय राजमार्ग 8, महाराष्ट्र और गुजरात: 2014 तक, एक रुकी हुई परियोजना में 2017 की प्रगति की समीक्षा के बाद महत्वपूर्ण प्रगति देखी जाने लगी, जिससे वन्यजीवों की सुरक्षा और भूमि मालिकों के लिए मुआवज़ा समझौतों के साथ सर्विस रोड का निर्माण करने की अनुमति मिल गई।
- सड़क: वाराणसी-औरंगाबाद खंड, राष्ट्रीय राजमार्ग 2, उत्तर प्रदेश और बिहार: पुराने भूमि अभिलेखों की चुनौतियों के कारण पांच वर्षों में सड़क चौड़ीकरण का केवल 20 प्रतिशत कार्य ही पूरा हो पाया और प्रगति समीक्षा के बाद इसमें बेहतर गति पाई गई। अब इस परियोजना को इस वर्ष के अंत में पूरा करने की योजना है।
- जल जीवन मिशन: घरेलू जल की पहुंच 2019 में 17 प्रतिशत से बढ़कर 2024 तक 79 प्रतिशत हो गई।
इनमें से प्रत्येक परियोजना में 25 से अधिक मुद्दों की पहचान की गई और उनका समाधान किया गया।
लीडरशिप इन एक्शन - प्रधानमंत्री मोदी स्वयं प्रगति बैठकों की अध्यक्षता करते हैं, जिससे यह सरकार के भीतर एक उच्च प्राथमिकता वाली पहल बन जाती है।
- नीतियों और योजनाओं के क्रियान्वयन की प्रत्यक्ष समीक्षा करके, प्रधानमंत्री मोदी प्रभावी शासन के लिए दिशा निर्धारित करने में मदद करते हैं। प्रगति के माध्यम से राज्य और केन्द्र के अधिकारियों के साथ बातचीत करने की उनकी क्षमता आवश्यकता पड़ने पर त्वरित सुधार करने में मदद करती है।
- प्रधानमंत्री मोदी की प्रत्यक्ष भागीदारी ने तत्परता और जवाबदेही को बढ़ाया है, जिससे देरी अब समय पर कार्य पूरा होने में बदल गई है
- प्रगति के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी ने पारदर्शिता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को मजबूत किया है प्रगति का गतिशील प्रभाव
तकनीक-संचालित क्रियान्वयन: डिजिटल डैशबोर्ड और ड्रोन निगरानी: सड़क, बिजली, रेलवे और विमानन जैसे क्षेत्रों में वास्तविक समय पारदर्शिता और सुव्यवस्थित प्रगति को बढ़ावा देना
केन्द्र सरकार की अन्य योजनाओं के लिए प्रेरणा: प्रगति का प्रभाव अब बुनियादी ढांचे से आगे तक बढ़ गया है, जो प्रमुख विकास पहलों को प्रेरित कर रहा है जैसे:
o 2023 में शुरू किए गए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी) में 46 सीमावर्ती गांवों को बदलने के लिए प्रगति दृष्टिकोण का इस्तेमाल किया गया। 4,800 करोड़ रुपये के बजट के साथ, वीवीपी महिला और युवा सशक्तीकरण, कनेक्टिविटी में सुधार और स्वास्थ्य और पर्यटन सुविधाओं को बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित करता है।
o इसके अतिरिक्त, प्रगति की समीक्षा बैठकों से आवास परियोजनाओं में बिल्डिंग इंफॉर्मेशन मॉडलिंग (बीआईएम) जैसी प्रौद्योगिकियों को अपनाने में मदद मिली है।
o स्वामित्व पहल में ड्रोन तकनीक ग्रामीण संपत्ति मालिकों, विशेष रूप से महिलाओं को स्पष्ट भूमि स्वामित्व रिकॉर्ड प्रदान करती है, जिससे उन्हें कानूनी मान्यता और वित्तीय सेवाओं तक पहुंच प्राप्त होती है।
o पूर्ण बुनियादी सुविधाओं से देश की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव – भारतीय रिजर्व बैंक और राष्ट्रीय लोक वित्त और नीति संस्थान द्वारा किए गए अध्ययनों का अनुमान है कि बुनियादी ढांचे पर खर्च किए गए प्रत्येक रुपये के लिए, देश को सकल घरेलू उत्पाद में 2.5 से 3.5 रुपये का लाभ होता है।
पिछले उदाहरण: नरेन्द्र मोदी की कार्यशैली: अवरोधों को तोड़ने की प्रक्रिया और कार्य को गति प्रदान करना
- गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में, श्री नरेन्द्र मोदी ने रूकावटों को समाप्त करने और सहयोग को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभाई।
o अंतर-विभागीय संवाद को बढ़ावा देने और प्रगति की बाधाओं को दूर करने के लिए चिंतन शिविरों का उपयोग किया गया।
o प्रत्यक्ष संलग्नता: वास्तविक समय पर अपडेट प्राप्त करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की उपयोगी स्थानों पर सक्रिय नियुक्त करके नीतियों को कार्रवाई योग्य परिणामों में परिवर्तित किया जाता है।
o संकट प्रबंधन: असाधारण संकट प्रबंधन का प्रदर्शन देखने को मिला, विशेष रूप से गुजरात में प्राकृतिक आपदाओं के दौरान, जहां राहत प्रयासों के उनके त्वरित समन्वय ने उन्हें प्रभावी शासन के लिए ख्याति दिलाई।
o शासन में प्रौद्योगिकी: प्रगति से पहले, गुजरात में डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग सेवा वितरण को बढ़ाने और भविष्य की पहलों के लिए मंच तैयार करने के लिए किया जाता था।
प्रगति बुनियादी ढांचे के विकास से कहीं आगे है; यह सामाजिक उत्थान को बढ़ावा देती है और टिकाऊ नवाचार को बढ़ावा देती है, जिससे देश भर के सभी हितधारकों को लाभ मिलता है।
इसने भारत की नौकरशाही में क्रांति ला दी है, इसे अपनी पूरी क्षमता का एहसास करने में मदद की है और देरी और अक्षमता की प्रणाली से पारदर्शिता, वास्तविक समय संचार और तेजी से निष्पादन की प्रणाली में बदल दिया है। यह सहकारी संघवाद का एक शक्तिशाली उदाहरण बन गया है, जहाँ केंद्र और राज्य सरकारें राजनीतिक मतभेदों को दूर करते हुए साझा लक्ष्यों के लिए मिलकर काम करती हैं।