देहरादून। केदारनाथ की भांति बदरीनाथ धाम को संवारने की दिशा में सरकार ने कदम बढ़ा दिए हैं। आगामी विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले बदरीनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्य शुरू हो जाएंगे। सीएसआर (कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) मद से धाम में प्रथम चरण में स्वीकृत 270 करोड़ की लागत वाले 14 कार्यों के लिए निविदा डालने वाली कंपनी से अनुबंध करने को धामी मंत्रिमंडल ने हरी झंडी दे दी।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दिशा-निर्देशों के अनुरूप प्रदेश सरकार ने बदरीनाथ धाम को विकसित करने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया। अब इसी के अनुरूप धाम को संवारने की कसरत शुरू की गई है। इसके लिए सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और विभिन्न कंपनियों से सीएसआर मद में धनराशि जुटाई गई। इस कड़ी में प्रथम चरण में धाम में रिवर व लेक फ्रंट डेवलपमेंट, वन-वे सिस्टम, कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम, अराइवल प्लाजा जैसे 14 कार्यों के लिए निविदा आमंत्रित की गई। इन कार्यों के लिए एक निविदा प्राप्त हुई थी। संबंधित कंपनी से औचित्यपूर्ण दरों पर अनुबंध गठित करने की अनुमति के संबंध में कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव रखा गया। चर्चा के बाद कैबिनेट ने इसकी अनुमति दे दी।प्रधानमंत्री के सपने के अनुरूप नए कलेवर में निखर रहे केदारनाथ धाम में भवनों की ऊंचाई के मानक शिथिल करने पर भी राज्य मंत्रिमंडल ने मुहर लगा दी। अब धाम में राज्य व केंद्र सरकार की नीति और अन्य सीएसआर निधि, दान अथवा अन्य स्रोत के माध्यम से तैयार होने वाली परियोजनाओं में भवन निर्माण में सेटबैक, भू-आच्छादन व एफएआर पर अधिकतम 25 प्रतिशत की छूट होगी। धाम में सेंट्रल स्ट्रीट में बनने वाले आवासीय भवनों की ऊंचाई अधिकतम छह मीटर होगी, जबकि शेष क्षेत्र में यह नौ मीटर रखी गई है। कैबिनेट ने वहां अस्पताल भवन की ऊंचाई 15 मीटर रखने पर भी सहमति दी है। इसके अलावा धाम में ढालदार छत की स्थिति में ऊंचाई के अतिरिक्त अधिकतम साढ़े तीन मीटर का रिज लेवल अनुमन्य होगा।
पर्यटन गतिविधियों को सुव्यवस्थित ढंग से संचालित करने और नए पर्यटक स्थलों के विकास के मद्देनजर कैबिनेट ने सभी जिलों में जिला पर्यटन विकास समिति (डीटीडीसी) के गठन को मंजूरी दी है। पूर्व में क्षेत्र विशेष के लिए समितियां गठित होती थीं, लेकिन अब सभी जिलों में डीएम की अध्यक्षता में डीटीडीसी गठित होंगी। इस समिति को वित्तीय अधिकार भी दिए गए हैं। डीएम के पास उपलब्ध रिवाल्विंग फंड से समिति विभिन्न कार्यों पर खर्च कर सकेगी। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद यह राशि उपलब्ध कराएगी। समिति का दायित्व नए पर्यटक स्थलों की पहचान, वहां ढांचागत विकास के लिए प्रयास, वर्तमान पर्यटक बुनियादी ढांचे की निगरानी व रखरखाव जैसे कार्य होंगे। साथ ही जिले में पर्यटन विकास योजनाओं के लिए भूखंडों की पहचान व अधिग्रहण, पर्यटन भूमि बैंक का चिह्नीकरण भी समिति करेगी।
कैबिनेट ने उत्तराखंड विशेष विकास क्षेत्र पर्यटन विकास प्राधिकरण सेवा नियमावली को भी मंजूरी दे दी है। प्रदेश में पर्यटन की दृष्टि से क्षेत्र विशेष को विकसित किए जाने के मद्देनजर उत्तराखंड विशेष क्षेत्र (पर्यटन का नियोजित विकास और उन्नयन) अधिनियम-2013 लागू है। इस अधिनियम के तहत वर्तमान में केदारनाथ विकास प्राधिकरण और टिहरी विशेष क्षेत्र पर्यटन विकास प्राधिकरण गठित हैं। भविष्य में इसी तरह के प्राधिकरण गठित किए जाने हैं।
इसे देखते हुए कैबिनेट ने ऐसे प्राधिकरणों के लिए एक ही तरह की सेवा नियमावली पर मुहर लगाई है। इसके तहत लोक सेवा आयोग से नगर नियोजन अधिकारी और दो अभियंताओं के पद भरे जाएंगे। वैयक्तिक सहायक, सहायक लेखाकार, मानचित्रकार, कनिष्ठ सहायक सह डाटा एंट्री आपरेटर आयोग की परिधि से बाहर से भरे जाएंगे। अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी समेत कुछ पद प्रतिनियुक्ति और सात पद आउट सोर्सिंग से भरे जाएंगे।