देहरादून। देश के जाने-माने गिनीज एवं लिम्का बुक रिकॉर्ड होल्डर देहरादून के ऑर्थाेपीडिक एवं स्पाइन सर्जन पद्मश्री से सम्मानित प्रो. डॉ. बी. के. एस. संजय को एक और सम्मान मिला। उत्तराखंड ऑर्थाेपीडिक एसोसिएशन एवं उत्तराखंड ऑर्थाेपीडिक कॉन्फ्रेंस के द्वारा डॉ. बी. के. संजय को हल्द्वानी में कांफ्रेंस के शुभारंभ समारोह में ऑर्थाेपीडिक एसोसिएशन एवं कॉन्फ्रेंस के पदाधिकारियों ने डॉ. संजय को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया।
गौरतलब है कि डॉ. संजय उत्तराखंड एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष हैं। उत्तराखंड ऑर्थाेपीडिक एसोसिएशन की स्थापना डॉ. संजय के मार्गदर्शन में जौलीग्रांट देहरादून उत्तराखंड में आज से लगभग 21 साल पहले 25 मार्च 2001 को की गई थी। इस स्थापना का विधिवत संचालन उस समय के इंडियन ऑर्थाेपीडिक एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ. एस. एम. शर्मा, कोषाध्यक्ष डॉ. शिशिर रस्तोगी और उत्तर प्रदेश के पदाधिकारी डॉ. अतुल बहादुर के मार्गदर्शन में की गई थी। पिछले 21 साल में उत्तराखंड एसोसिएशन के सदस्यों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है।
डॉ. बी. के. एस. संजय ने न केवल पिछले 20 सालों में अपना नाम कमाया बल्कि अपने साथ उत्तराखंड एसोसिएशन का झंडा पूरी देश-दुनिया में फैलाया। डॉ. बी. के. संजय को देश-विदेश की बहुत सी आर्थाेपीडिक संस्थाओं तथा सामाजिक संस्थाऐं सम्मानित कर चुकी हैं। डॉ. संजय ने प्राथमिक ऑर्थाेपीडिक सर्जरी की ट्रेनिंग कानपुर, पी.जी.आई. चंडीगढ़ एवं दिल्ली से ली तथा उच्च ऑर्थाेपीडिक प्रशिक्षण स्वीडन, स्वीटजरलैंड, जापान, यू.एस.ए., ऑस्ट्रेलिया तथा रसिया से ले चुके हैं। डॉ. संजय दुनिया के लगभग 45 देशों में अपने अनुभव का आदान प्रदान कर चुके हैं। इनके लेख दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शोध पत्रिकाओं में छप चुके हैं।
डॉ. बी. के. एस. संजय की ऑर्थाेपीडिक एवं सामाजिक सेवाओं को देखते हुए पिछले साल 9 नवंबर 2021 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा देश के चौथे सर्वाेच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। 15 अप्रैल 2022 को हल्द्वानी में आयोजित उत्तराखंड ऑर्थाेपीडिक एसोसिएशन द्वारा लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। इसके साथ ही देहरादून के ऑर्थाेपीडिक सर्जन डॉ. गौरव संजय ने सी.पी. से होने वाले विकलांग बच्चों की किये गई सर्जरी के अनुभव को हल्द्वानी में उत्तराखंड ऑर्थाेपीडिक एसोसिएशन के दौरान बेस्ट पेपर अवार्ड के सेंशन में अपने अनुभव साझा किये।