रुद्रपुर । नेक्स्ट एज्युकेशन, के-12 शिक्षा के क्षेत्र में हलचल मचाने वाली तेजी से बढ़ रही, तकनीक-संचालित कंपनी, ने अनुभव-आधारित पढ़ाई कराने वाले जैन ग्लोबल स्कूल, रुद्रपुर, उत्तराखंड के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) किया है। इस एमओयू के साथ, नेक्स्ट एज्युकेशन ने शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए अपने दृष्टिकोण को आगे बढ़ाया है। शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव लाने के लिये प्रतिबद्ध, इस सहयोग की मदद से पढ़ाई तक पहुँच को लोकतांत्रिक बनाया जाएगा, पढ़ने वालों को अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा दी जाएगी। साथ ही उन्हें 21वीं सदी के लिये जरूरी कौशल से सुसज्जित करना और टेक्नोलॉजी को शामिल करने वाली शिक्षा में नये युग की शुरुआत करना भी इस साझेदारी का लक्ष्य है।
नेक्स्ट एज्युकेशन के लगातार बढ़ रहे नेटवर्क में कई स्कूल शामिल हैं और कंपनी अगले 3 वर्षों में विद्यार्थियों तक अपनी पहुँच को दोगुना करना चाहती है। इस कदम के पीछे पढ़ाई को बच्चों के लिये रोचक और आकर्षक बनाना और डिजिटल लर्निंग टूल्स से विद्यार्थियों की पढ़ाई से जुड़ी कमियों को दूर करने का इरादा है। नेक्स्ट एज्युकेशन इंडिया प्रा. लि. के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ब्यास देव रलहान ने कहा, “नेक्स्ट एज्युकेशन देश में सभी पढ़ाने वालों के लिये अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा को सुलभ बनाना चाहती है और उन्हें 21वीं सदी के लिये जरूरी कौशल देना चाहती है। हमारा मानना है कि यह विचार तभी साकार हो सकता है, यदि टेक्नोलॉजी, खासकर, टेक्नोलॉजी से सक्षम शैक्षणिक उत्पादों और समाधानों द्वारा इसमें दखल दिया जाए। यह उत्पाद और समाधान शिक्षा के मौजूदा परिदृश्य की चुनौतियों को प्रभावी ढंग से हल करेंगे।”
इस गठजोड़ पर जैन ग्लोबल स्कूल के निदेशक योगेश जैन ने कहा, “जैन ग्लोबल स्कूल बच्चों पर केन्द्रित है और हमारा ध्यान ऐसे कौशल पर है, जो तेजी से बदल रही दुनिया के अनुसार चलने के लिये बेहद जरूरी हैं। शिक्षक होने के नाते हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारे विद्यार्थियों के पास सर्वश्रेष्ठ संसाधन और टेक्नोलॉजी हों। हमने नेक्स्ट एज्युकेशन के साथ भागीदारी की है और हम सही मायनों में 21वीं सदी का स्कूल बनने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा स्कूल, जहाँ शिक्षा के लिये हाई-टेक और भविष्यवादी सुविधा हो, जो विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करे। यह गठजोड़ हमारे शिक्षकों को भी आगे बढ़ने और अपना कौशल विकसित करने का अवसर देगा, ताकि वे विद्यार्थियों को सर्वश्रेष्ठ संभव शैक्षणिक अनुभव प्रदान कर सकें।”