देहरादून। ऊर्जा निगम की ओर से प्रदेश में बिजली की दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर गुरुवार को शासन स्तर पर त्रिपक्षीय वार्ता हुई। वार्ता में ऊर्जा निगम और जल विद्युत निगम की ओर से बिजली दरों को बढ़ाने के पक्ष में तर्क रखे गए। वहीं उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (यूईआरसी) ने कहा कि बिजली दरों में वृद्धि के प्रस्ताव पर सुनवाई के आधार पर ही आयोग फैसला ले सकेगा। निगम की ओर से अपने कार्मिकों को रियायती दरों पर बिजली के प्रस्ताव आयोग ने असहमति के संकेत दिए हैं। अपर मुख्य सचिव ऊर्जा राधा रतूड़ी ने आयोग को भेजे गए प्रस्ताव पर सुनवाई से पहले पूरी तैयारी करने के निर्देश दोनों निगमों को दिए।
ऊर्जा निगम ने इस बार बिजली की दरों में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि प्रस्तावित की है। पारेषण निगम और जलविद्युत निगम को मिलाकर 10.5 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव भेजा गया है। पिछली बार निगम ने 13.42 प्रतिशत वृद्धि प्रस्तावित की थी, लेकिन यूईआरसी ने इसके स्थान पर सिर्फ 3.54 प्रतिशत वृद्धि को ही अनुमोदित किया था। इस बार प्रस्तावित वृद्धि को लेकर सचिवालय में गुरुवार को अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में बैठक हुई।
बैठक में ऊर्जा निगम ने विद्युत हानियों और संपत्तियों के आधार पर विद्युत दर बढ़ाने को लेकर तर्क दिए। साथ ही निगम कार्मिकों के लिए बिजली की रियायती दर की पैरवी की। आयोग इस प्रस्ताव से ही असहमत दिख रहा है, हालांकि इस मामले में फैसला सुनवाई के दौरान ही लिया जाएगा। ऐसा होने पर खर्च ऊर्जा निगमों को ही वहन करना होगा। इसे आम उपभोक्ता पर नहीं डाला जा सकेगा। वहीं जलविद्युत निगम ने भी रामगंगा में विद्युत उत्पादन प्रभावित होने और उत्तरप्रदेश पर निर्भरता का हवाला देते बिजली दरों के निर्धारण को लेकर अपना पक्ष रखा।
आयोग के प्रतिनिधि ने दोनों निगमों को सुनवाई के दौरान याचिका अथवा पक्ष रखने को कहा। उन्होंने कहा कि आयोग नियत प्रक्रिया के तहत ही विद्युत दरों का निर्धारण कर सकता है। अपर मुख्य सचिव ने दोनों निगमों को इस संबंध में पूरी तैयारी के साथ आयोग में पक्ष रखने के निर्देश दिए। बैठक में ऊर्जा अपर सचिव इकबाल अहमद, ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक अनिल यादव, जलविद्युत निगम के प्रबंध निदेशक संदीप सिंघल एवं यूईआरसी के सचिव नीरज सती उपस्थित थे।