देहरादून। उत्तराखंड राज्य में हो रहे विधानसभा चुनाव में कोई भी उम्मीदवार बुजुर्ग मतदाताओं के आशीर्वाद के बिना चुनाव नहीं जीत पाएगा। राज्य में 60 वर्ष से अधिक उम्र के वोटरों की संख्या 12,88,529 है। यह राज्य के कुल मतदाताओं का करीब 16 फीसदी है। बुजुर्ग मतदाता ही वोट देने में सबसे आगे रहते हैं।
ऐसे में कहा जा सकता है कि बुजुर्ग वोटरों के आशीर्वाद के बगैर राजनीतिक दलों की बात बनने वाली नहीं है। उन्हें बुजुर्ग वोटरों के मुद्दों पर भी ध्यान देना होगा। राज्य में कुल वोटरों की संख्या 81,43,922 है। इनमें 41,19,795 पुरुष और 40,18,552 महिलाएं हैं। राज्य में 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के 12,88,529 बुजुर्ग वोटर हैं। इनमें भी 80 वर्ष से अधिक उम्र के 1,58,742 वोटर हैं। जबकि 60 से 69 आयु वर्ग के 7,29,422 वोटर शामिल हैं। इस प्रकार देखा जाए तो राज्य की हर विधानसभा में औसतन 18 हजार से अधिक बुजुर्ग वोटर हैं। यह वोटर किसी भी विधानसभा के चुनावों में निर्णायक साबित हो सकते हैं। इसके बावजूद इस विधानसभा चुनाव में बुजुर्ग वोटरों के मुद्दे गायब हैं। किसी भी राजनीतिक दल ने बुजुर्गों के लिए घोषणा पत्र में कोई बड़ा मुद्दा शामिल नहीं किया है। अब तक सरकारें गरीब, बुजुर्ग वोटरों को सिर्फ वृद्धावस्था पेंशन की सुविधा ही दे पाई हैं। 80 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को इस बार पोस्टल बैलेट से घर बैठे मतदान की सुविधा तो दी है। लेकिन उन्हें घर बैठे बैंकिंग सुविधा, सुरक्षा व अकेले रह रहे बुजुर्गों को घर में जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने जैसे मुद्दों पर काम नहीं हो पाया है। राजनीतिक दलों का बुजुर्ग वोटरों का आशीर्वाद लेना है तो इन मुद्दों पर भी ध्यान देना होगा।
