रुड़की। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम श्रृंखला अंतर्गत आईआईटी रुड़की के जल संसाधन विकास एवं प्रबन्धन विभाग में संचालित “ग्रामीण कृषि-मौसम सेवा परियोजना” के तहत क्षेत्रीय किसान जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में कृषि मौसम प्रक्षेत्र इकाई रुड़की के कार्यक्षेत्र में आने वाले जनपद हरिद्वार, देहरादून तथा पौड़ी गढ़वाल के किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम में भारत मौसम विभाग के सहयोग से रुड़की केन्द्र द्वारा उपलब्ध कराई जा रही कृषि मौसम परामर्श सेवाओं के बारे में किसानों को जागरूक किया गया। इन सेवाओं को तकनीक का इस्तेमाल करते हुए आसानी से किसानों तक समय पर पहुंचाने के उद्देश्य से आईआईटी रुड़की द्वारा राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केन्द्र-इसरो के सहयोग से विकसित मोबाइल एप ष्किसानष् का लोकार्पण किया गया। भारत मौसम विभाग, नई दिल्ली के अपर महानिदेशक डॉ० के के सिंह ने बताया कि रुड़की केन्द्र द्वारा हरिद्वार जनपद के सभी छः ब्लॉक के लिए ब्लॉक स्तरीय मौसम पूर्वानुमान तथा कृषि-मौसम परामर्श बुलेटिन प्रत्येक मंगलवार तथा शुक्रवार को जारी किया जा रहा है। किसान अब इन बुलेटिनों को आज लांच किये गए ष्किसानष् एप की सहायता से अपने मोबाइल फोन पर आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
इस एप की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें किसानों को सिर्फ उनके द्वारा चयनित ब्लॉक का ही मौसम पूर्वानुमान तथा एडवाइजरी बुलेटिन प्रदर्शित होगी। इसके अतिरिक्त उपयोगकर्ता इन बुलेटिनों के बारे में अपने सुझाव भी एप पर ही दे सकते हैं। इससे किसानों द्वारा दिए गए सुझाव को बुलेटिन में शामिल करके कृषि-मौसम परामर्श सेवाओं को अधिक से अधिक किसान उपयोगी बनाया जा सकेगा जा सकेगा। रीजनल रिमोट सेंसिंग सेंटर, नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर, इसरो, हैदराबाद में आउटस्टैंडिंग साइंटिस्ट तथा चीफ जनरल मैनेजर डॉ० सी एस झा के निर्देशन में ष्किसानष् एप विकसित करने वाली वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ० खुशबू मिर्ज़ा ने बताया कि उक्त एप में किसानों की आवश्यकतानुसार समय-समय पर आवश्यक बदलाव भी किये जायेंगे, जिससे यह एप किसानों की अधिक से अधिक आवश्यकताओं को पूरा कर सके। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो० ए के चतुर्वेदी ने कहा कि आधुनिक तकनीक का प्रयोग करके बेहतर कृषि पद्धतियों से किसानों को लाभान्वित करने के लिए आईटी रुड़की सक्रिय रूप से प्रयासरत है। यह प्रयास कृषि क्षेत्र में जोखिम को कम करने के लिए नवीनतम तकनीक द्वारा किसानों की मदद में बढ़ाया गया एक छोटा सा कदम है। रीजनल रिमोट सेंसिंग सेंटर, नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर, इसरो, हैदराबाद में आउटस्टैंडिंग साइंटिस्ट तथा चीफ जनरल मैनेजर डॉ० सी एस झा ने कहा कि चूँकि आज अधिकतर किसान स्मार्ट फ़ोन का उपयोग करते हैं, इसलिए त्वरित गति से किसानों को कृषि-मौसम सूचनाओं का आदान-प्रदान करने के लिए मोबाइल ऍप्लिकेशन्स एक बेहतर विकल्प है। इस लिहाज से ष्किसानष् मोबाइल एप किसानों की मौसम सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केन्द्र, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के निदेशक डॉ० वी एम चौधरी ने कहा कि वर्तमान समय में मौसम पूर्वानुमान के अतिरिक्त फसल उपज पूर्वानुमान भी व्यक्त किया जा रहा है, जो सरकार की विभिन्न एजेंसियों को नीतिगत निर्णय लेने में सहायक होता है। डॉ० चौधरी ने रिमोट सेंसिंग तकनीक का कृषि क्षेत्र में किये जा रहे व्यापक प्रयोग के बारे में किसानों को विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान किया।
कार्यक्रम में कृषि मौसम प्रक्षेत्र इकाई, आईआईटी रुड़की द्वारा ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के बारे में हिन्दी व अंग्रेजी भाषा में तैयार की गई एक वीडियो का भी लोकार्पण किया गया। इस वीडियो के माध्यम से “ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना” के बारे में सरल तरीके से विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इसके अतिरिक्त किसानों को इन सेवाओं के बारे में आसान भाषा में जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से ष्फसल, बागवानी तथा पशुधन प्रबन्धन हेतु कृषि-मौसम परामर्श सेवाएंष् नामक पुस्तिका का विमोचन भी किया गया।