कजाखस्तान में हिंसा काबू करने उतरे रूसी कमांडो, राष्ट्रपति ने विदेश में प्रशिक्षित आतंकियों का हमला बताया

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अलमाटी, रायटर। कजाखस्तान में पैदा हुई हिंसा की स्थिति को काबू में करने के लिए गुरुवार को रूस की सेना वहां पहुंच गई। राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायेव के बुलावे पर रूस ने अपने सैनिक पैराशूट के जरिये राजधानी अलमाटी और अन्य शहरों में उतारे हैं। इससे पहले हिंसा के ताजा दौर में सुरक्षा बलों ने तोड़फोड़, आगजनी और लूटपाट कर रहे लोगों पर कार्रवाई की। इस कार्रवाई में दर्जनों लोगों के मारे जाने की खबर है। हिंसक लोगों के हमलों में सुरक्षा बलों के 13 जवान भी मारे गए हैं।मेयर का कार्यालय फूंका

भारत के मित्र पूर्व सोवियत देश कजाखस्तान में कई दिन से जारी हिंसा में अलमाटी में स्थित राष्ट्रपति आवास का बड़ा हिस्सा और मेयर का कार्यालय जला दिए गए हैं। अलमाटी एयरपोर्ट तक पहुंचे हिंसक तत्वों को काबू करके सेना ने गुरुवार दोपहर को वहां पर अपना कब्जा मजबूत कर लिया।

सैकड़ों कारों को फूंका

एयरपोर्ट के बाहर और अन्य सड़कों पर खड़ी सैकड़ों कारों को उपद्रवियों ने फूंक दिया है। हिंसा को नियंत्रित करने के लिए कई स्थानों पर सुरक्षा बलों को दंगाई भीड़ से जूझना पड़ रहा है। राजधानी में कई स्थानों से गोलीबारी की आवाज आ रही हैं। लेकिन राजधानी का मुख्य चौराहा सुरक्षा बलों के कब्जे में आ गया है। पूरे देश में इंटरनेट की सेवाएं अभी ठप हैं।टोकायेव के अनुरोध पर कुछ ही घंटों में पहुंची रूसी सेना

राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायेव ने रूस के साथ सुरक्षा समझौते के तहत बुधवार रात में मास्को से सैन्य मदद मांगी। रूस ने देर न करते हुए तत्काल अपने पैराट्रूपर अलमाटी भेज दिए। राष्ट्रपति टोकायेव ने कहा है कि हिंसा के पीछे विदेश में प्रशिक्षित आतंकी हैं जिन्होंने राजधानी की प्रमुख इमारतों और हथियार भंडारों पर कब्जा कर लिया है। ये आतंकी अब देश के नागरिकों और राजनीतिक नेतृत्व पर हमले कर रहे हैं।सहयोग के लिए रूसी सेना बुलाई गई

उन्हें नियंत्रित करने में सहयोग के लिए रूसी सेना बुलाई गई है। रूस के नेतृत्व वाले कलेक्टिव सिक्युरिटी ट्रीटी आर्गनाइजेशन ने कहा है कि कजाखस्तान भेजे गए सैन्य दस्ते में रूस, बेलारूस, आर्मेनिया, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान के सैनिक शामिल हैं। कजाखस्तान भेजे गए सैनिकों की संख्या नहीं बताई गई है। रूसी पैराट्रूपर कमांडो ने अलमाटी पहुंचते ही कार्रवाई शुरू कर दी है और उन्हें सफलता भी मिली है।नववर्ष का जश्न सरकार विरोधी हिंसा में बदला

एक जनवरी को नए साल का जश्न अचानक सरकार विरोधी प्रदर्शन में तब्दील हो गया। जश्न में शामिल होने आए लोग अचानक डीजल-पेट्रोल की बढ़ी कीमतों के विरोध में सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए हिंसा पर उतारू हो गए और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने लगे। भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने निजी संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाना और उन्हें लूटना शुरू कर दिया। जब तक लोग और सुरक्षा बल कुछ समझ पाते, तब तक अलमाटी हिंसा की आग में जलने लगा।पूर्व सोवियत देश में हिंसा है अप्रत्याशित

पूर्व सोवियत देश में इस तरह की हिंसा अप्रत्याशित है। वह भी तब जब 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद से कजाखस्तान में लगातार शांति रही हो। देश के स्वतंत्र अस्तित्व में आने के बाद से लेकर तीन वर्ष पूर्व तक राष्ट्रपति रहे नूरसुल्तान नजरवायेव ने पूरी कुशलता के साथ सरकार चलाई थी। नजरबायेव की पसंद के उनके उत्तराधिकारी टोकायेव को सत्ता के तीसरे साल में हिंसक विरोध झेलना पड़ा है।

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