जी-20 आपदा जोखिम न्यूनीकरण मंत्रिस्तरीय बैठक: भारत ने वित्तपोषण और पूर्व-चेतावनी सहयोग के क्षेत्र में नेतृत्व को दर्शाया

National

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्र ने भारत की बहु-एजेंसी संरचना की रूपरेखा प्रस्तुत की, जो एक कॉमन अलर्ट प्रोटोकॉल यानी कॉम्प्लायंट इंटीग्रेटेड एलर्ट सिस्टम के माध्यम से मौसम विज्ञान, जल विज्ञान, भूकंप विज्ञान और समुद्र विज्ञान संस्थानों को एकीकृत करती है

डॉ. मिश्र ने नवाचार, समावेशी वित्तपोषण और अंतरराष्ट्रीय एकजुटता के माध्यम से स्वैच्छिक उच्च-स्तरीय सिद्धांतों को क्रियान्वित करने की भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की

जी-20 आपदा जोखिम न्यूनीकरण मंत्रिस्तरीय बैठक: भारत ने वित्तपोषण और पूर्व-चेतावनी सहयोग के क्षेत्र में नेतृत्व को दर्शाया

आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डीआरआर) पर जी-20 मंत्रिस्तरीय बैठक के पहले दिन, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्र ने दो उच्च-स्तरीय कार्यक्रमों – “एकजुटता और अनुकूलन: पूर्व-चेतावनी प्रणालियों के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और एकजुटता में डीआरआर का विस्तार” और “डीआरआर निवेश को बढ़ाने के लिए तकनीकी नवाचार और राजनीतिक नेतृत्व का सेतु निर्माण” में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

एकजुटता और अनुकूलन सत्र में, डॉ. मिश्र ने इस बात पर जोर दिया कि पूर्व-चेतावनी प्रणालियां तकनीकी विलासिता नहीं, बल्कि अनुकूलन को लेकर रणनीतिक निवेश हैं। उन्होंने भारत की बहु-एजेंसी संरचना के बारे में चर्चा की, जिसमें मौसम विज्ञान, जल विज्ञान, भूकंप विज्ञान और समुद्र विज्ञान संस्थानों को एक सामान्य चेतावनी प्रोटोकॉल-अनुपालक एकीकृत चेतावनी प्रणाली के माध्यम से एकीकृत किया गया है, जो पहले ही 109 बिलियन से अधिक अलर्ट जारी कर चुकी है। उन्होंने जी-20 से वैश्विक “सभी के लिए पूर्व-चेतावनी” प्रणाली के अंतर्गत अंतर-संचालनीय क्षेत्रीय प्लेटफार्मों, साझा डेटा प्रोटोकॉल और संयुक्त क्षमता निर्माण संबंधी पहलों को मजबूत करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भारत पूर्व-चेतावनी को एक समावेशी, बहुभाषी और पूर्वानुमानयोग्य वैश्विक सार्वजनिक हित के रूप में देखता है।

डीआरआर के वित्तपोषण पर आयोजित कार्यक्रम में, डॉ. मिश्र ने जी20 स्वैच्छिक उच्च-स्तरीय सिद्धांतों के सिद्धांत 2 और 4 के अनुरूप भारत की पांच-स्तंभ वित्तपोषण रणनीति का विस्तृत विवरण दिया। उन्होंने वित्त आयोग के तहत भारत के संवैधानिक मॉडल का वर्णन किया, जिसने बहु-वर्षीय, नियम-आधारित डीआरआर आवंटन, राज्यों और स्थानीय निकायों को विकेन्द्रीकृत वित्तपोषण और राष्ट्रीय आपदा जोखिम सूचकांक के माध्यम से साक्ष्य-आधारित प्राथमिकता सुनिश्चित की। राहत-केंद्रित से जोखिम तत्काल सूचना के प्रतिमान की ओर भारत के बदलाव पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने नवीन स्थानीय-स्तरीय प्रणालियों, समर्पित शमन निधियों, आपदा-विशिष्ट कार्यक्रमों और आपदा मित्र स्वयंसेवकों के माध्यम से समुदाय-आधारित तैयारियों का प्रदर्शन किया, जो अनुकूलन को सीधे सार्वजनिक वित्त और शासन में समाहित करते हैं।

इस अवसर पर, डॉ. मिश्र ने दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं। दक्षिण अफ्रीका के सहकारी शासन और पारंपरिक मामलों के मंत्री श्री वेलेंकोसिनी हलाबिसा के साथ अपनी बैठक में, उन्होंने सीडीआरआई सदस्यता सहित संयुक्त क्षमता निर्माण से जुड़े क्रियाकलापों को प्रोत्साहित किया। डॉ. मिश्र ने ऑस्ट्रेलिया की आपातकालीन प्रबंधन मंत्री सुश्री क्रिस्टी मैकबेन के साथ डीआरआर के लिए अलग-अलग वित्तपोषण योजनाओं पर व्यापक चर्चा की। डॉ. मिश्र ने नीदरलैंड के उप मंत्री प्रो. डॉ. मार्टेन वान आल्स्ट के साथ अपनी बैठक में, पूर्व-चेतावनी प्रणालियों को मजबूत करने, इसके प्रसार के लिए प्रौद्योगिकी और क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपदा अनुकूलन बढ़ाने में संस्थागत सहयोग को बढ़ावा देने पर प्रकाश डाला। 2024 में ब्राजील की अध्यक्षता के दौरान रखी गई मजबूत नींव को याद करते हुए, ब्राजील के उप मंत्री वाल्डेर रिबेरो के साथ अपनी बैठक में, डॉ. मिश्र ने अनुकूलन आधारित भरपाई, प्रकृति-आधारित समाधानों और सतत पुनर्निर्माण पर संयुक्त पहल जारी रखने की भारत की मंशा व्यक्त की।

दिन के कार्यक्रमों का समापन करते हुए, डॉ. मिश्र ने नवाचार, समावेशी वित्तपोषण और अंतरराष्ट्रीय एकजुटता के माध्यम से स्वैच्छिक उच्च-स्तरीय सिद्धांतों को क्रियान्वित करने की भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए यह सुनिश्चित किया कि अनुकूलन सतत विकास का साझा माध्यम बने।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *